बुधवार, 16 नवंबर 2011





 आज हवाओं में पानी है


आज हवाओं में पानी है
लगता है बदली रोई है
कहीं किसी का दिल टूटा है
या कोई वसुधा खोई है
  आज हवाओं में पानी है


शोकाकुल लगता है सूरज
देता नहीं कहीं दिखलाई
चलता था जो साथ सभी के
साँझ ढले तक बन परछाईं
 आसमान रंग दिया कि जैसे
 खून हुआ हो अरमानों का
 या संध्या दुलहन ने अपने
 हाथ रची मेहंदी धोई है
   लगता है बदली रोई है
   आज हवाओं में पानी है


लगता है उपवन में कुछ तो
अनबन सी है कली अली में
उड़ी न खुशबू हुआ न गुंजन
खामोशी है गली-गली में
 है कोई साजिश मौसम की

 फूलों के चेहरे उतरे हैं
 रही रात भर रोती शबनम
 चुप हो अभी-अभी सोई है
  लगता है बदली रोई है
  आज हवाओं में पानी है


सपने थे जो गोद खिलाये
जाने कब हो गए सयाने
छोड़ गए आँखों का आँचल
रूठ गए जाने अनजाने
 बादल बन कर इतना बरसे
 सागर-सरिता सब भर डाले
 जाने किसके मोह-पाश में
 बुन डाले मकड़ी से जाले
  अब कैसे बाहर आ पायें
  राह नहीं दिखती कोई है
  लगता है बदली रोई है
  आज हवाओं में पानी है
















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