रविवार, 5 फ़रवरी 2012



शुभकामना संदेश


आज मेरा शांत सोया मन जगाने
फिर कोई शुभकामना संदेश आया है


तुम्हारी याद की अनुगूँज से
मेरे हृदय में हरकतें होती रहें
भले परछाइयाँ ही हों,
किसी के साथ का अहसास तो देती रहें
किसी संबंध की सम्भावना जुड़ने लगी हैं
नई इस चेतना का स्वर, समय ने
कंठ में भर गुनगुनाया है
कोई शुभकामना संदेश आया है


तुम्हें देख पाने की जिज्ञासा जगी रहे
बंद रहो आँखों में पलकों का परदा है
तन-मन में बस जाओ फूलों की खूशबू से
तुमको जी लेने को प्राण अभी ठहरा है
साथ रहो, बाँह गहो, भव-सागर तरना है
भक्ति-ज्ञान, पूजा-व्रत, जप-तप से
धोई यह काया है
कोई शुभकामना संदेश आया है


इतना अपनाओ मुझे, दुखदर्द मेरे
सब सूख गए पत्तों से झरने लगे
ज्ञान-वृक्ष हरियाये, चिंतन के
सागर में मन-मंथन करने लगे
एक नई राह मिले और लगे ज्यों कोई
सुबह का भूला--
शाम घर लौट आया है
कोई शुभकामना संदेश आया है








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