बूँद बन बरसी नहीं जो नम हुयी उस आँख से
आप भी अपना कभी दामन भिगो कर देखिये
दूसरे की चुभन का अहसास होने के लिए
पाँव में अपने कभी काँटा चुभो कर देखिये
है नहीं मुमकिन किसी की नीद सोएं आप हम
किन्तु उसकी आँख का सपना सजो कर देखिये
संवेदना उगने लगेगी भाव की उस भूमि में
हो अगर सम्भव किसी का दर्द बोकर देखिये
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें