शब्दम्
कवयित्री विनीता शर्मा का ब्लॉग
शुक्रवार, 1 अगस्त 2014
न करना बात मज़हब की
इबादत में यकीं रखना
परिंदों सा बसेरा कर
न घर रखना,ज़मीं रखना
जो शामिल आरती में हैं
अजानों में सहर करते
मुहब्बत एक मकसद है
सुकू से उम्र भर रहते
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