शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

न करना बात मज़हब की 
इबादत में यकीं रखना 
परिंदों सा बसेरा कर 
न घर रखना,ज़मीं रखना 
जो शामिल आरती में हैं 
अजानों  में सहर करते 
मुहब्बत एक मकसद है 
सुकू से उम्र भर रहते  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें